या तो यूँ घबराना छोड़।
या फिर साथ निभाना छोड़ ॥
पीठ दिखाने की गर सोचे ,
तो आवाज़ उठाना छोड़ ॥
गूँजेगी आवाज़ फ़िज़ाँ में ,
डर - डरकर चिल्लाना छोड़ ॥
तेवर मुट्ठी में लेकर चल ,
ज़ुल्मों से डर जाना छोड़ ॥
जो होगा देखा जाएगा ,
कुछ करके पछताना छोड़ ॥
निभ जाएँ तो ठीक रहेगा ,
वरना क़समें खाना छोड़ ॥
मंज़िल चाहे तो पैरों के ,
छालों को सहलाना छोड़ ॥
या फिर साथ निभाना छोड़ ॥
पीठ दिखाने की गर सोचे ,
तो आवाज़ उठाना छोड़ ॥
गूँजेगी आवाज़ फ़िज़ाँ में ,
डर - डरकर चिल्लाना छोड़ ॥
तेवर मुट्ठी में लेकर चल ,
ज़ुल्मों से डर जाना छोड़ ॥
जो होगा देखा जाएगा ,
कुछ करके पछताना छोड़ ॥
निभ जाएँ तो ठीक रहेगा ,
वरना क़समें खाना छोड़ ॥
मंज़िल चाहे तो पैरों के ,
छालों को सहलाना छोड़ ॥
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