Sunday, September 15

अगर मुस्कान को गिरवी रखोगे जी न पाओगे।
बड़ी ताक़त मिलेगी जब ज़रा तुम मुस्कुराओगे ॥

यक़ीनन वो मेरा ही नाम होगा देख लेना तुम ,
कभी जब रेत पर यूँ ही कभी उँगली चलाओगे ॥

गिरा दो आज तुम इन बेरहम रस्मों - रिवाजों को ,
पहनकर बेड़ियाँ जब तक चलोगे , लड़खड़ाओगे ॥

अधूरी ही रहेंगी कोशिशें तुम आज़मा लेना ,
बहुत मैं याद आऊँगा , मुझे जितना भुलाओगे ॥

परिंदे चूम लेंगे आसमां के हर सितारे को,
कफ़स को तोड़कर उनको अगर ऊपर उड़ाओगे ॥ 

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