Sunday, September 22

इस बदलती  ज़िंदगी के मायने मिलते नहीं।
जो दिखा दें मन हमें वो आईने मिलते नहीं ॥

ज़िंदगी में मंज़िलों के रूबरू जो ले गए ,
क्या हुआ ढूंढे बहुत वो  रास्ते मिलते नहीं ॥

दौर था जब शाख पर अनगिन थे इसकी घोंसले ,
आज इस सूखे शजर पर घोंसले मिलते नहीं ॥

आसमां से जो सितारे तोड़कर लाए कभी ,
आज क्यों मज़बूत ऐसे हौंसले मिलते नहीं ॥

यूँ बढ़ीं नज़दीकियाँ शहरों की गाँवों से प्रसून ,
हर गली है तंग फैले रास्ते मिलते नहीं ॥ 

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