सच तो सच है , सच रहने दो।
सच को गूँगा मत होने दो ॥
दर्द पिघलकर बह जाएगा ,
बस कुछ पल मिलकर रोने दो ||
ख़ुद को ख़ुद में ढूंढ़ सकोगे ,
ख़ुद को ख़ुद में गर खोने दो ॥
दिल के खेतों में नफ़रत की ,
फ़सलें बिल्कुल मत बोने दो ॥
नहीं अलग आयत - चौपाई ,
इन दोनों को संग रहने दो ॥
रमुआ का हो या जुम्मन का ,
ख़ून किसी का मत बहने दो ॥
सच को गूँगा मत होने दो ॥
दर्द पिघलकर बह जाएगा ,
बस कुछ पल मिलकर रोने दो ||
ख़ुद को ख़ुद में ढूंढ़ सकोगे ,
ख़ुद को ख़ुद में गर खोने दो ॥
दिल के खेतों में नफ़रत की ,
फ़सलें बिल्कुल मत बोने दो ॥
नहीं अलग आयत - चौपाई ,
इन दोनों को संग रहने दो ॥
रमुआ का हो या जुम्मन का ,
ख़ून किसी का मत बहने दो ॥
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