Thursday, August 15

ग़ज़ल

मुल्क मज़हब मुल्क ही ईमान होना चाहिए।
हर किसी को मुल्क पर अभिमान होना चाहिए।।

हो जहाँ इंसानियत बस मज़हबी  दंगे न हों,
ख़्वाब  है ऐसा ही हिंदुस्तान होना चाहिए।।

मांगता हो मुल्क तो पीछे नहीं हटना कभी,
ख़ुद ही आगे दौड़कर क़ुर्बान होना चाहिए।।

मशविरा है ख़ुद को पैसों से कभी मत नापिए,
क़द बड़ा करना है तो इंसान होना चाहिए।।

आप चाहेंगे बढ़ेगी, रोक दें रुक जाएगी,
मुल्क इक गाड़ी है इतना ध्यान होना चाहिए।।

नेक इंसानों के हाथों में हो अपनी बागडोर,
अब न संसद में कोई शैतान होना चाहिए।।

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