Wednesday, August 28

जीवन से किसी तौर  कभी हार न मानो।
मुश्किल भी अगर हो तो उसे भार न मानो ॥

देने के लिए रास्ता ख़ुद आएगी मंज़िल ,
ख़ुद को कभी मजबूर व लाचार न मानो ॥

फूलों की कोई सेज नहीं माना ये जीवन ,
लेकिन कभी भूले से इसे ख़ार  न मानो ॥

मुश्किल की घड़ी में नहीं जो साथ खड़ा हो ,
हमदर्द नहीं है वो उसे यार न मानो ॥

जिस्मों की ज़रूरत को मुहब्बत नहीं कहते ,
वो सिर्फ़ हवस है उसे तुम प्यार न मानो ॥

जो वक़्त के साँचे में ख़ुद को ढाल न पाए ,
नादान है वो उसको समझदार न मानो ॥ 

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