जीवन से किसी तौर कभी हार न मानो।
मुश्किल भी अगर हो तो उसे भार न मानो ॥
देने के लिए रास्ता ख़ुद आएगी मंज़िल ,
ख़ुद को कभी मजबूर व लाचार न मानो ॥
फूलों की कोई सेज नहीं माना ये जीवन ,
लेकिन कभी भूले से इसे ख़ार न मानो ॥
मुश्किल की घड़ी में नहीं जो साथ खड़ा हो ,
हमदर्द नहीं है वो उसे यार न मानो ॥
जिस्मों की ज़रूरत को मुहब्बत नहीं कहते ,
वो सिर्फ़ हवस है उसे तुम प्यार न मानो ॥
जो वक़्त के साँचे में ख़ुद को ढाल न पाए ,
नादान है वो उसको समझदार न मानो ॥
मुश्किल भी अगर हो तो उसे भार न मानो ॥
देने के लिए रास्ता ख़ुद आएगी मंज़िल ,
ख़ुद को कभी मजबूर व लाचार न मानो ॥
फूलों की कोई सेज नहीं माना ये जीवन ,
लेकिन कभी भूले से इसे ख़ार न मानो ॥
मुश्किल की घड़ी में नहीं जो साथ खड़ा हो ,
हमदर्द नहीं है वो उसे यार न मानो ॥
जिस्मों की ज़रूरत को मुहब्बत नहीं कहते ,
वो सिर्फ़ हवस है उसे तुम प्यार न मानो ॥
जो वक़्त के साँचे में ख़ुद को ढाल न पाए ,
नादान है वो उसको समझदार न मानो ॥
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