Vinod Prasoon ki Kavitayen
Saturday, August 17
कोशिश नहीं करोगे तो पत्ता न हिलेगा।
यूँ बैठे रहोगे तो तुम्हें कुछ न मिलेगा।।
गर तेज़ हवाओं से डरोगे तो हार है,
ये ज़िंदगी का फूल तो आँधी में खिलेगा।।
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