Friday, August 30

हम कहाँ तन्हा रहेंगे रात भर।
दर्द आँखों से बहेंगे रात भर ॥

गुफ़्तगू लंबी चलेगी देखिए ,
दर्द कुछ , कुछ हम कहेंगे रात भर ॥

नींद तुमको भी कहाँ आ पाएगी ,
साथिया , गर हम जगेंगे रात भर ॥

इक तरन्नुम चाहिए बस प्यार का,
फिर ग़ज़ल - सा हम बहेंगे रात भर ॥

दर्द के अशआर लेकर आ गए ,
पीर दिल की अब कहेंगे रात भर ॥

सुबह की उम्मीद आँखों में सँजोए ,
हम जहाँ का ग़म  सहेंगे रात भर ॥  

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