दिल जिसमें धड़कता हो वो पत्थर नहीं होता।
ये तजरुबा अपना है जो कमतर नहीं होता ॥
रातों की नींद दिन का सुकूँ बेचने वालो ,
पैसा कभी सुकून से बढ़कर नहीं होता ॥
रिश्तों में जहाँ प्यार - भरोसा ही नहीं हो ,
कहने के लिए है वो मगर घर नहीं होता ॥
ये कोठियाँ सोती हैं लिए नींद की गोली ,
ऐसे कभी बेचैन तो छप्पर नहीं होता ॥
मेहनत से उतर आते हैं धरती पे सितारे ,
वरना कोई तिनका भी मयस्सर नहीं होता ॥
ये तजरुबा अपना है जो कमतर नहीं होता ॥
रातों की नींद दिन का सुकूँ बेचने वालो ,
पैसा कभी सुकून से बढ़कर नहीं होता ॥
रिश्तों में जहाँ प्यार - भरोसा ही नहीं हो ,
कहने के लिए है वो मगर घर नहीं होता ॥
ये कोठियाँ सोती हैं लिए नींद की गोली ,
ऐसे कभी बेचैन तो छप्पर नहीं होता ॥
मेहनत से उतर आते हैं धरती पे सितारे ,
वरना कोई तिनका भी मयस्सर नहीं होता ॥
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