Monday, August 19

ग़ज़ल

झूठी -झूठी शान नहीं हो।
ताक़त का अभिमान नहीं हो ॥

सम्मानित हों हंस सदा ही,
बगुलों का सम्मान नहीं हो ॥

खादी पहनें  गाँधीवादी ,
घबराकर मतदान नहीं हो ॥

अर्जुन बनकर लक्ष्य बेध दो ,
भटका - भटका ध्यान नहीं हो ॥

  रहे चहकती होंठों - होंठों ,
क़ैद कभी मुस्कान नहीं हो ॥

मालिक से बस यही दुआ है ,
इन्सां में हैवान नहीं हो ॥

दीवाली के दीप न काँपें ,
सहमा - सा रमज़ान नहीं हो ॥ 

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