झूठी -झूठी शान नहीं हो।
ताक़त का अभिमान नहीं हो ॥
सम्मानित हों हंस सदा ही,
बगुलों का सम्मान नहीं हो ॥
खादी पहनें गाँधीवादी ,
घबराकर मतदान नहीं हो ॥
अर्जुन बनकर लक्ष्य बेध दो ,
भटका - भटका ध्यान नहीं हो ॥
रहे चहकती होंठों - होंठों ,
क़ैद कभी मुस्कान नहीं हो ॥
मालिक से बस यही दुआ है ,
इन्सां में हैवान नहीं हो ॥
दीवाली के दीप न काँपें ,
सहमा - सा रमज़ान नहीं हो ॥
ताक़त का अभिमान नहीं हो ॥
सम्मानित हों हंस सदा ही,
बगुलों का सम्मान नहीं हो ॥
खादी पहनें गाँधीवादी ,
घबराकर मतदान नहीं हो ॥
अर्जुन बनकर लक्ष्य बेध दो ,
भटका - भटका ध्यान नहीं हो ॥
रहे चहकती होंठों - होंठों ,
क़ैद कभी मुस्कान नहीं हो ॥
मालिक से बस यही दुआ है ,
इन्सां में हैवान नहीं हो ॥
दीवाली के दीप न काँपें ,
सहमा - सा रमज़ान नहीं हो ॥
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