Monday, October 28

कुछ बात तजरुबे की ज़रा जानिए जनाब।
जो कह रहा है वक़्त उसे मानिए जनाब। ।

चेहरों पे हैं सभी के मुखौटे लगे हुवे ,
भीतर छिपा है जो उसे पहचानिए जनाब। ।

जो तेज़ धार में टिके है ,आदमी वही ,
जो रेत बन बहे उसे क्या मानिए जनाब। ।

कीचड़ उछालते  हैं उछालें वो शौक से ,
अपनी हथेलियों को नहीं सानिए जनाब। ।

जो गिड़गिड़ाके माँग ले माफ़ी न कुछ कहे ,
उसपर कभी कमान नहीं तानिए जनाब। ।

जितनी निभाई जा सके उतनी ही घोटिए ,
जो छन सके बस उतनी फ़क़त छानिए जनाब। ।
       

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