तुम बिन जो दुनिया क़िस्मत की मारी लगती है।
तुमसे मिलकर वो जन्नत -सी प्यारी लगती है । ।
मिलकर लम्हा -लम्हा जी लो ,आँसू ठीक नहीं ,
ऐसा करने से चाहत को गारी लगती है । ।
तुम आने की बात कहो , फिर कहकर न आओ ,
एक घड़ी भी उस पल कितनी भारी लगती है । ।
साँसों में ख़ुशबू भर देती ,धड़कन महकाती ,
ये भोली मुस्कान हमें फुलवारी लगती है । ।
छप्पर अंधियारे में सीना तान खड़ा रहता ,
कोठी पर दिन में भी पहरेदारी लगती है । ।
चुपके -चुपके देखें तुमको आँखों में भर लें ,
दिल की ग़लती है ये लेकिन प्यारी लगती है । ।
तुमसे मिलकर वो जन्नत -सी प्यारी लगती है । ।
मिलकर लम्हा -लम्हा जी लो ,आँसू ठीक नहीं ,
ऐसा करने से चाहत को गारी लगती है । ।
तुम आने की बात कहो , फिर कहकर न आओ ,
एक घड़ी भी उस पल कितनी भारी लगती है । ।
साँसों में ख़ुशबू भर देती ,धड़कन महकाती ,
ये भोली मुस्कान हमें फुलवारी लगती है । ।
छप्पर अंधियारे में सीना तान खड़ा रहता ,
कोठी पर दिन में भी पहरेदारी लगती है । ।
चुपके -चुपके देखें तुमको आँखों में भर लें ,
दिल की ग़लती है ये लेकिन प्यारी लगती है । ।
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