दिखाई देगी जब जन्नत बुजुर्गों की दुआओं में।
हवाएं लोरियां बनकर बहेंगी इन फ़िज़ाओं में । ।
बड़ों की बात पंचामृत
औ' इनका मन है गंगाजल
बड़ी क़िस्मत से मिलता है
बड़ों के प्रेम का आँचल
इनको पास में रखिए,रहेंगे आप छाँव में।
हवाएं लोरियां बनकर बहेंगी इन फ़िज़ाओं में । ।
चलो माता -पिता को
तुलसी -पीपल की तरहा मानें
उन्हीं को देवगृह मानें
हवाएं लोरियां बनकर बहेंगी इन फ़िज़ाओं में । ।
हवाएं लोरियां बनकर बहेंगी इन फ़िज़ाओं में । ।
बड़ों की बात पंचामृत
औ' इनका मन है गंगाजल
बड़ी क़िस्मत से मिलता है
बड़ों के प्रेम का आँचल
इनको पास में रखिए,रहेंगे आप छाँव में।
हवाएं लोरियां बनकर बहेंगी इन फ़िज़ाओं में । ।
चलो माता -पिता को
तुलसी -पीपल की तरहा मानें
उन्हीं को देवगृह मानें
उन्हीं को देवता मानें
बनेगा घर तभी पावन ,महक होगी दिशाओं में।
हवाएं लोरियां बनकर बहेंगी इन फ़िज़ाओं में । ।
बस ऎसे ही घरों में
जन्नतें डेरा जमाएंगी
वो सरगम छेड़कर ख़ुशियों के
मीठे गीत गाएंगी
बड़े हैं बरगदों जैसे ,बसी जन्नत है पांवों में।
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