किरची -किरची होकर टूटे -फूटे लोग मिले।
सांसों से भी जैसे रूठे -रूठे लोग मिले।।
धन -दौलत को क़द माना तो अंबर जैसे हैं ,
दिल को क़द माना तो छोटे -छोटे लोग मिले।।
मुस्कानों की बातें बीते कल का ख़्वाब हुईं ,
बस्ती -बस्ती ढूँढा रोते-धोते लोग मिले ।।
सच्चाई का दावा झूठा , झूठी दुनिया में ,
धड़कन बोलीं - जब -जब झूठे -झूठे लोग मिले ।।
सुनकर भी कब सुन पाते हैं , जां जो प्यारी है ,
डर है कैसा डर से गूंगे -बहरे लोग मिले ।।
बारूदों की गंध लिए चलती है तेज़ हवा ,
इस मौसम में सारे सहमे -सहमे लोग मिले ।।
सांसों से भी जैसे रूठे -रूठे लोग मिले।।
धन -दौलत को क़द माना तो अंबर जैसे हैं ,
दिल को क़द माना तो छोटे -छोटे लोग मिले।।
मुस्कानों की बातें बीते कल का ख़्वाब हुईं ,
बस्ती -बस्ती ढूँढा रोते-धोते लोग मिले ।।
सच्चाई का दावा झूठा , झूठी दुनिया में ,
धड़कन बोलीं - जब -जब झूठे -झूठे लोग मिले ।।
सुनकर भी कब सुन पाते हैं , जां जो प्यारी है ,
डर है कैसा डर से गूंगे -बहरे लोग मिले ।।
बारूदों की गंध लिए चलती है तेज़ हवा ,
इस मौसम में सारे सहमे -सहमे लोग मिले ।।
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