Friday, October 11

किरची -किरची होकर टूटे -फूटे लोग मिले।
सांसों से भी जैसे रूठे -रूठे लोग मिले।।

धन -दौलत को क़द माना तो अंबर जैसे हैं ,   
दिल को  क़द माना तो छोटे -छोटे लोग मिले।।

मुस्कानों की बातें बीते कल का  ख़्वाब हुईं  ,
बस्ती -बस्ती ढूँढा रोते-धोते लोग मिले  ।।

सच्चाई का दावा झूठा , झूठी दुनिया में ,
धड़कन बोलीं -  जब -जब झूठे -झूठे लोग  मिले ।।

सुनकर भी कब सुन पाते हैं , जां  जो प्यारी है ,
डर है कैसा  डर से गूंगे -बहरे  लोग  मिले ।।

बारूदों की गंध लिए चलती है तेज़ हवा ,
इस मौसम में सारे सहमे -सहमे लोग मिले ।।   

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