Thursday, November 21

चाहतों की ख़ुशबुओं से तर-बतर हो ज़िंदगी।
हसीं गुलों का , तितलियों का एक घर हो  ज़िंदगी। ।   

कहीं न फ़िक्र हो कोई, न कोई हादसा मिले ,
हर एक की सुकून से यहाँ बसर हो ज़िंदगी। ।

मुहब्बतों की जिससे एक दास्तान बन सके ,
वो बावफ़ा हसीन एक हमसफ़र हो ज़िंदगी। । 

फ़िज़ा में जिसकी प्यार की हो एक नज़्म गूँजती ,
वो जन्नतों -सा पाक -साफ़ इक शहर हो  ज़िंदगी। ।    

वो जिसको सुनके दिल मेरा 'प्रसून' झूमने लगे ,
ख़ुशी बिखेर दे दिलों में वो ख़बर हो  ज़िंदगी। ।                       

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