जिस घर में दीपक चाहत का जलता है। ।
उसमें पल-पल ख़ुशियाँ बनकर पलता है। ।
जो अपनी मेहनत की रोज़ी खाता है ,
वो फिर अपने हाथ कभी न मलता है। ।
वही उजाला दे पाता है दुनिया को ,
जो पहले ख़ुद मोम सरीखा गलता है। ।
उस घर की हर बात में बरकत होती है ,
बीवी से भी जहाँ मशविरा चलता है । ।
उसमें पल-पल ख़ुशियाँ बनकर पलता है। ।
जो अपनी मेहनत की रोज़ी खाता है ,
वो फिर अपने हाथ कभी न मलता है। ।
वही उजाला दे पाता है दुनिया को ,
जो पहले ख़ुद मोम सरीखा गलता है। ।
उस घर की हर बात में बरकत होती है ,
बीवी से भी जहाँ मशविरा चलता है । ।
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