Monday, November 25

वक़्त को पहचानिएगा। ।
दिल का कहना मानिएगा । ।

फिर क़दम पीछे हटें क्यूँ ,
दिल में जब कुछ ठानिएगा । ।

सब भरोसेमंद कब हैं ,
कौन क्या है जानिएगा । ।

मत उलझिए, उलझनों में ,
खाक़ कब तक छानिएगा । ।

आँख में आँसू नहीं हैं ,
दर्द को पहचानिएगा। ।
  

Thursday, November 21

चाहतों की ख़ुशबुओं से तर-बतर हो ज़िंदगी।
हसीं गुलों का , तितलियों का एक घर हो  ज़िंदगी। ।   

कहीं न फ़िक्र हो कोई, न कोई हादसा मिले ,
हर एक की सुकून से यहाँ बसर हो ज़िंदगी। ।

मुहब्बतों की जिससे एक दास्तान बन सके ,
वो बावफ़ा हसीन एक हमसफ़र हो ज़िंदगी। । 

फ़िज़ा में जिसकी प्यार की हो एक नज़्म गूँजती ,
वो जन्नतों -सा पाक -साफ़ इक शहर हो  ज़िंदगी। ।    

वो जिसको सुनके दिल मेरा 'प्रसून' झूमने लगे ,
ख़ुशी बिखेर दे दिलों में वो ख़बर हो  ज़िंदगी। ।                       

Tuesday, November 19

वक़्त फिर धोखा करेगा ,क्या पता था।
बेवफ़ा पल -पल मिलेगा ,क्या पता था। ।  

जो कभी मेरा था, मुझको चाहता था ,
अजनबी बनकर मिलेगा ,क्या पता था। ।

प्यार से महका हुआ था कल तलक जो ,
वो शहर ऐसे जलेगा  ,क्या पता था। ।   

एक अंगुल भर जगह के वास्ते ही ,
ख़ून का दरिया बहेगा  ,क्या पता था। ।   

जी-हुज़ूरी भेड़ की क़िस्मत बनेगी ,
भेड़िया शासन करेगा  ,क्या पता था। ।   

मैं कभी ईमान ले आया था जिसपर ,
वो भरोसे को छलेगा ,क्या पता था। ।             
जिस घर में दीपक चाहत का जलता है। ।
उसमें पल-पल ख़ुशियाँ बनकर पलता है। ।

जो अपनी मेहनत की रोज़ी खाता है ,
वो फिर अपने हाथ कभी न मलता है। ।

वही उजाला दे पाता है दुनिया को ,
जो पहले ख़ुद मोम सरीखा गलता है। ।

उस घर की हर बात में बरकत होती है ,
बीवी से भी जहाँ मशविरा चलता है । ।     

Wednesday, November 6

मेरे घर तू आया कर ना।
आकर फिर मत जाया कर ना। ।

मैं चाहत लफ़्ज़ों में ढालूँ ,
तू थोड़ा मुस्काया  कर ना। ।  

जो होगा देखा जाएगा ,
मत इतना घबराया कर ना। ।

लिख दूँ दिल की हसरत सारी ,
तू ग़ज़लें ये गाया कर ना। ।

आँसू दिल कमज़ोर करेंगे ,
दर्द सभी सह जाया कर ना। ।  

Tuesday, November 5

पत्थर दिल से फूलों की फ़रियाद नहीं करते।
जो पीड़ा दे दिल को ऐसी बात  नहीं करते। ।

ये यादों की इक -इक गठरी खोल के रख देगी ,
तन्हाई में दिल से गुज़री बात नहीं करते। ।

पैसे चाहे थोड़े कम हों लेकिन याद रहे ,
घर आने में इतनी भी तो रात नहीं करते। ।

तन्हा होने पर जो साँसों को चुभती जाए ,
इतनी भी तो चाहत की बरसात नहीं करते। ।

प्यार ख़ुदा हो , चाहत ईमाँ , इश्क़ इबादत हो ,
वरना भूले से इनकी शुरुआत नहीं  करते। ।