नवल वर्ष के नव प्रभात में नूतन किरणो, मुस्काना।
नई उमंगें , ख़ुशियाँ जी भर, आँगन -आँगन बिखराना।।
नहीं ईर्ष्या , नहीं द्वेष हो ,
ना कटुता हो , ना नफ़रत
इंसां में इंसान फ़क़त हो ,
न हो शैतां -सी फ़ितरत
इस दुनिया के हर इंसां को बात यही तुम समझाना।
नवल वर्ष के नव प्रभात में नूतन किरणो, मुस्काना।।
अच्छी सेहत ,सोच हो अच्छी ,
बोल हों अच्छे , बातें अच्छी
अच्छे पल-पल , अच्छी घड़ियाँ ,
अच्छे दिन हों ,रातें अच्छी
यह सारा संसार हो अच्छा , सबकुछ अच्छा कर जाना।
नवल वर्ष के नव प्रभात में नूतन किरणो, मुस्काना।।
मन दूजे का दुख पहचाने
दुखिया को संबल दे दे
मुश्किल में जिसको भी देखे ,
हर मुश्किल का हल दे दे
हर इंसां के मन में ऐसी सोच सदा को भर जाना।
नवल वर्ष के नव प्रभात में नूतन किरणो, मुस्काना।।
No comments:
Post a Comment