Sunday, December 7


न होता था कभी जब फ़ोन काग़ज़ का सहारा था।
कभी हमने भी दिल का हाल काग़ज़ पे उतारा था ॥

खिले फूलों की तरहा वो हमें महसूस होता है ,
जो लम्हा प्यार में हमने कभी संग - संग गुज़ारा था ॥

अधूरी थी ग़ज़ल उसका तरन्नुम भी अधूरा था,
न जब तक ज़िंदगी को यार लफ़्ज़ों में उतारा था ॥

भले अब नाम लेकर बोलने का है चलन फिर भी ,
हमें है याद जब तुमने अजी कहकर पुकारा था ॥

लिए नफ़रत गुजारें ज़िंदगी वो जान लें इतना ,
जहाँ हारा हमेशा प्यार के बोलों से हारा था ॥

इसे दीवानगी की हद कहें या प्यार का जादू ,
हमारा दिल तुम्हारा था , तुम्हारा दिल हमारा था ॥ 

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