Tuesday, December 10


ख़ुदा की बड़ी मेहरबानी हुई है। 
शुरू ख़ूबसूरत कहानी हुई है।।

हैं साँसें ग़ज़ल , धड़कनें हैं तरन्नुम ,
मुलाक़ात बेशक सुहानी हुई है।। 

न सैलाब आए लबों पे दुआ है ,
फ़सल खेत में कुछ सयानी हुई है।। 

जो तुम मिल गए ,मन्नतें झूमती हैं ,
हर इक आरज़ू जाफ़रानी हुई है।। 

तो बाहर सही दोस्ताना सभी से ,
अगर घर में बेटी सयानी हुई है।। 

हसीं ख्वाब जैसी लगे ज़िंदगानी ,
गुलाबी हैं दिन,रात धानी हुई है।। 

ये काग़ज़ के टुकड़ों पे चाहत की बातें ,
चलो प्यार की कुछ निशानी हुई है।।  



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