ख़ुदा की बड़ी मेहरबानी हुई है।
शुरू ख़ूबसूरत कहानी हुई है।।
हैं साँसें ग़ज़ल , धड़कनें हैं तरन्नुम ,
मुलाक़ात बेशक सुहानी हुई है।।
न सैलाब आए लबों पे दुआ है ,
फ़सल खेत में कुछ सयानी हुई है।।
जो तुम मिल गए ,मन्नतें झूमती हैं ,
हर इक आरज़ू जाफ़रानी हुई है।।
तो बाहर सही दोस्ताना सभी से ,
अगर घर में बेटी सयानी हुई है।।
हसीं ख्वाब जैसी लगे ज़िंदगानी ,
गुलाबी हैं दिन,रात धानी हुई है।।
ये काग़ज़ के टुकड़ों पे चाहत की बातें ,
चलो प्यार की कुछ निशानी हुई है।।