Monday, December 16



हम देश की बेटी का बलिदान न भूलें।
ज़िंदा न रहे एक भी हैवान न भूलें। ।
जिस आन के लिए वो दरिंदों से भिड़ गई ,
जब तक रहे ये जान वही आन न भूलें। ।

(देश की बहादुर बिटिया निर्भया को समर्पित)  

Tuesday, December 10


ख़ुदा की बड़ी मेहरबानी हुई है। 
शुरू ख़ूबसूरत कहानी हुई है।।

हैं साँसें ग़ज़ल , धड़कनें हैं तरन्नुम ,
मुलाक़ात बेशक सुहानी हुई है।। 

न सैलाब आए लबों पे दुआ है ,
फ़सल खेत में कुछ सयानी हुई है।। 

जो तुम मिल गए ,मन्नतें झूमती हैं ,
हर इक आरज़ू जाफ़रानी हुई है।। 

तो बाहर सही दोस्ताना सभी से ,
अगर घर में बेटी सयानी हुई है।। 

हसीं ख्वाब जैसी लगे ज़िंदगानी ,
गुलाबी हैं दिन,रात धानी हुई है।। 

ये काग़ज़ के टुकड़ों पे चाहत की बातें ,
चलो प्यार की कुछ निशानी हुई है।।  



Saturday, December 7


आप चाहे जिधर जाइए।
ख़ुशबुओं -सा बिखर जाइए।।

चाहतों का समंदर लिए ,
आप दिल में उतर  जाइए।।

कल न रोकेंगे हम आपको ,
आज थोड़ा ठहर  जाइए।।

याद जो कर सके ज़िंदगी ,
कुछ-न- कुछ ऐसा कर जाइए।।

टूट जाएँ न यूँ हारकर ,
हौसला दिल में भर जाइए।।  

लम्हा-लम्हा हो यादों भरा ,
एक जादू-सा कर  जाइए।।  

Friday, December 6

इक शम्मा जब-जब तूफ़ानों से टकराया करती है।।
तेज़ हवा को दूध छठी का याद दिलाया करती है।।

कोशिश लाख करो पर कैसे बाँध सकोगे बतलाओ ,
ख़ुशबू तो ख़ुशबू होती है हर सू छाया करती है।।

हाथ पकड़कर जो हिम्मत का राहों में बढ़ते जाते ,
बाधा चाहे जैसी भी हो , सब हट जाया करती है।।

लगी झलकने आज सफ़ेदी मेरे बालों से पर माँ ,
फिर भी बच्चा समझ हमेशा तू समझाया करती है।।

घर में देखे एक बिचारी बेवा बढ़ती बिटिया को ,
देख ज़माने की नज़रों को वो घबराया करती है।।

दूर गई है माँ  दुनिया से पर उसकी ममता देखो,
बनकर झोंका सिर पर अक्सर हाथ फिराया करती है।।

नहीं बैठने देती चुप वह ,ज़ुबाँ खोल देती उसकी ,
सच का साथ निभाने की जो लत पड़ जाया करती है।।