श्रम के साथ हमें करनी है, एक नवल युग की तैयारी
श्रम हर अँधियारा
हर लेगा, बनकर
भोर – किरण उजियारी
।
श्रम के साथ
हमें करनी है,एक नवल
युग की तैयारी
।।
चट्टानों पर गढ़े
कहानी
श्रम पत्थर को करता
पानी
श्रम मन में
विश्वास जगाता
श्रम बदहाली दूर भगाता
गाँठ बाँधकर याद रखो
यह, श्रम से
चलती दुनिया सारी
।
श्रम के साथ
हमें करनी है, एक नवल युग
की तैयारी ।।
श्रम से भू
पर स्वर्ग उतरता
श्रम से बैठा
भाग्य सँवरता
श्रम लिखता इतिहास निराला
श्रम खोले उन्नति
का ताला
श्रम से हाथ
मिलाकर देखो , फिर देखो
इसकी दिलदारी ।
श्रम के साथ
हमें करनी है
, एक नवल युग
की तैयारी ।।
श्रम पूजा है,
श्रम वंदन है
श्रम रोली है, श्रम चंदन है
श्रम माटी की
सौंधी ख़ुशबू
श्रम खिलता – मुस्काता जादू
श्रम की महिमा
नित खिलती है,
बनकर जीवन की
फुलवारी ।
श्रम के साथ
हमें करनी है, एक नवल युग
की तैयारी ।।
- डॉ. विनोद ‘प्रसून’
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