Saturday, December 31


(अपने एक सैनिक  मित्र पर आधारित सच्ची  कविता , जिसे सभी सैनिक भाइयों को समर्पित कर रहा हूँ। )

केशों के झुरमुट में खोने की 'हाँ' थी कल इच्छा मेरी।
मन करना चाहता था पल -पल चाहत के उपवन में फेरी।।   

आँखों में ले सपन प्यार के 'हाँ' मैंने चलना चाहा था।
एक पतंगा बन चाहत की ज्वाला में जलना चाहा था ।।  

एक मृदुल चेहरे को लेकर मन रचता था मधुर कहानी।
जिसमे  मैं राजा होता था, फूलों -सी होती थी रानी ।।

उस चेहरे से ख़्वाब जुड़े थे , उस बिन रूह अधूरी थी ।
उसके देखे मिलती राहत , तरसाती  हर दूरी थी ।।

सच कहदूँ तो उस चेहरे बिन जीवन आधा लगता था।
बिन उसके पलकों पे जैसे ख़्वाब न कोई सजता था।।

पर जबसे सीमा पर आया मैं बनकर प्रहरी मतवाला।
सच -सच कहता हूँ भारत माँ हूँ मैं तेरा ही रखवाला ।।

देशभक्ति की हाला पीकर अब मैं मस्त रहा करता हूँ।
बड़े गर्व से माँ मैं ख़ुद को तेरा लाल कहा करता हूँ  ।।

सपनों की दुनिया से हटकर मैंने जीना सीख लिया है।
तुझ पर मर मिटने का माते अब मैंने संकल्प किया है ।।       



    

यह नूतन, शुभ वर्ष आपके जीवन को कर दे फुलवारी

यह नूतनशुभ वर्ष आपके जीवन को कर दे फुलवारी।
समय लिखे उजली स्याही से गीत सर्वदा मंगलकारी ।।

स्वस्थ रहें, पलपल प्रभात हो,
उजियारों के साथ मिले
सौंधी हों आशाएँ उनको,
पूनो जैसी रात मिले
पुलकित, प्रमुदित हो यह जीवन, आभा जिसकी हो उजियारी।
यह नूतनशुभ वर्ष आपके जीवन को कर दे फुलवारी।।

शुभ विचार, संयमविवेक से,
मन का आँगन भरा रहे
मानवता,परमार्थ भाव से
जीवनउपवन हरा रहे
भावनाओं में बहे मधुरता, मन जग हेतु बने हितकारी।
यह नूतनशुभ वर्ष आपके जीवन को कर दे फुलवारी।।
                          
                       –डॉ. विनोदप्रसून’