Sunday, August 24


वो पीड़ा में भी मुस्काता रहता है।
जाने कैसे लुत्फ़ उठाता रहता है। ।

बिटिया की शादी में थोड़ा क़र्ज़ लिया ,
बेचारा अब ब्याज़ चुकाता रहता है। ।

हिम्मत गर हारोगे हार मिलेगी वरना ,
तूफ़ाँ तो आ-आकर जाता रहता है। ।

मुफ़लिस के घर सब्ज़ी कब महँगाई में ,
चटनी से वो रोटी खाता रहता है। ।

उसकी अर्ज़ी पर हफ़्तों से धूल जमी है,
वो बिन पैसे दफ़्तर आता रहता है। ।



   

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