सत्तरवें स्वतंत्रता दिवस की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ !!
आज़ादी का यह पुनीत दिन
आज़ादी का यह पुनीत दिन, क्या कहता है जानो ।
राष्ट्रप्रेम के उज्ज्वल दर्पण में खुद को पहचानो ।।
विश्व-क्षितिज पर अपना भारत ध्रुवतारे-सा चमके।
दया-प्रेम की किरणें लेकर यह दिनकर-सा दमके ।।
पंथ कठिन है, समय कठिन है, अतः सँभल कर चलना।
बुरे विचारों की ज्वाला से बचकर आप निकलना ।।
ऐसा भारत हो, जिसमें न चले द्वेष की आंधी।
हिंसा की होली जल जाए , घर- घर में हों गाँधी।।
रामकृष्ण से गुरुवर हों , जो शिक्षा-दीप जलाएँ ।
शिष्य विवेकानंद जैसे हों , जो कर्त्तव्य निभाएँ ।।
विश्व- भाईचारे के भावों से सारे मन महकें।
भारत के तरुवर पर सारे जग के पंछी चहकें।।
अपना हर कर्तव्य निभाएँ, मिलकर क़दम बढ़ाएँ ।
राष्ट्रधर्म का मधुर तराना ,हर्षित होकर गाएँ।।
संकल्पित हैं एक कंठ से कहदो नभ गुंजित हो ।
जिससे अपनी देश-वाटिका , खिले और सुरभित हो ।।
डॉ. विनोद 'प्रसून'